ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट (Opening Range Breakout)
इस आर्टिकल में हम ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। कृपया हमारा पिछला आर्टिकल ज़रूर पढ़ें जिसमें हमने Opening Range Trading
Strategy को उदाहरणों के साथ समझाया है।
इस लेख के अंत तक, आप नीचे दिए गए सभी पॉइंट्स को अच्छी तरह समझ पाएंगे:
- ओपनिंग रेंज क्या होती है?
- ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट क्या होता है?
- ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट के प्रकार
- वॉल्यूम और प्राइस एक्शन पर आधारित ब्रेकआउट एंट्री
- एंट्री के बाद वॉल्यूम और प्राइस एक्शन का विश्लेषण
ओपनिंग रेंज (OR) क्या होती है?
Opening
Range यानी दिन की पहली हाई और लो के बीच का अंतर।
हाई और लो कैसे तय करें?
- कम से कम एक कैंडल प्रारंभिक मूव के विरुद्ध होनी चाहिए — यानी पहले मूव के बाद एक उल्टा मूव देने वाली कैंडल होना ज़रूरी है ताकि हाई और लो की सही पुष्टि की जा सके।
Opening Range Breakout ट्रेडिंग के फ़ायदे
ब्रेकआउट ट्रेडिंग के कई फायदे होते हैं। जैसे कि:
- मोमेंटम आपके पक्ष में होता है – ब्रेकआउट ट्रेडिंग आपको उस समय ट्रेड में प्रवेश करने देती है जब मार्केट में गति यानी मोमेंटम पहले से मौजूद होता है।
- बड़े ट्रेंड पकड़ने का मौका – अगर आप केवल पुलबैक पर ट्रेड करते हैं, तो कई बार वो मौका कभी आता ही नहीं। लेकिन ब्रेकआउट ट्रेडिंग में, आपको मार्केट मूवमेंट छूटने का डर नहीं रहता।
- स्पष्ट एंट्री और एग्ज़िट (स्टॉप लॉस) प्वाइंट्स मिलते हैं – जिससे रिस्क कंट्रोल करना आसान हो जाता है।
Opening Range Breakout ट्रेडिंग के नुकसान
- फॉल्स ब्रेकआउट या स्मार्ट मनी ट्रैप – यानी ब्रेकआउट फेक हो सकता है, जो प्रो ट्रेडर्स द्वारा जानबूझकर बनाया गया हो।
- ज्यादातर समय ब्रेकआउट फेल हो जाता है – खासकर जब सही टाइमिंग या कन्फर्मेशन नहीं लिया गया हो।
तो ब्रेकआउट ट्रेडिंग कब करें?
ब्रेकआउट तभी ट्रेड करें जब परिस्थितियाँ सही हों। रिस्क कम करने के लिए दो प्रमुख अप्रोच हैं:
- ब्रेकआउट होते ही खरीदें, अगर सभी कंडीशन्स सही हों (जैसे वॉल्यूम, ट्रेंड सपोर्ट आदि)
- ब्रेकआउट के बाद पुलबैक पर खरीदें, जब आपको और पुष्टि चाहिए हो
टिप्स:
👉 जब ओपनिंग रेंज स्पष्ट ना हो, तो उस दिन Opening Range Trading से दूर रहना ही समझदारी है।
Opening Range Breakout
📈 Opening Range Breakout (OR
Breakout)
🔔 नोट: अब से हम केवल बुलिश ब्रेकआउट की चर्चा करेंगे। बियर ब्रेकआउट के लिए वही बातें उलट लागू होती हैं।
🧠 Opening Range Breakout में भाग लेने वाले खिलाड़ी
- प्रोफेशनल ट्रेडर्स – जो पहले से बाजार की दिशा को लेकर स्पष्ट होते हैं।
- शॉर्ट सेलर्स – जो मार्केट में गिरावट के उम्मीद पर ट्रेड कर चुके होते हैं, और अब उन्हें अपनी पोजिशन कवर करने के लिए खरीदारी करनी पड़ती है।
- यानी: ओपनिंग रेंज हाई के ऊपर शॉर्ट कवरिंग खरीदारी होती है।
- बाहर के ट्रेडर्स (FOMO) – जो अभी तक ट्रेड में नहीं हैं, लेकिन मूवमेंट देखकर लगता है कि कहीं मौका ना छूट जाए, इसलिए वे भी खरीदारी शुरू करते हैं।
📜 Opening Range Breakout का सिद्धांत
ब्रेकआउट को समझने के लिए इन तीन बिंदुओं पर ध्यान दें:
- 📉 रिट्रेसमेंट कितना हुआ है?
- यानी स्टॉक ने ओपनिंग मूव के मुकाबले कितनी वापसी की है।
- 📊 स्टॉक का रिएक्शन कैसा है?
- ओपनिंग रेंज के दौरान स्टॉक कैसे व्यवहार करता है।
- 🔊 वॉल्यूम की एक्टिविटी कैसी है?
- इस पीरियड में वॉल्यूम कम है या बढ़ता हुआ है?
🔍 Opening Range Breakout के तीन प्रकार
इन तीन मुख्य प्रकारों में OR ब्रेकआउट को बाँटा गया है:
- ✅ Opening Range Breakout – क्लासिक ब्रेकआउट जिसमें कीमत ओपनिंग रेंज को क्रॉस करती है और तेजी से ऊपर जाती है।
- ✅ Opening Range Accumulation Breakout – पहले एक accumulation ज़ोन बनता है (साइडवेज या छोटे रेंज में ट्रेडिंग), फिर ब्रेकआउट होता है।
✅ Opening Range Absorption Breakout – जहाँ ब्रेकआउट से पहले भारी वॉल्यूम पर सेलिंग को बाजार absorb करता है, फिर मजबूत ब्रेकआउट आता