जब कोई व्यक्ति ट्रेडिंग शुरू करता है, तो उसे सबसे पहली चीज़ जो सीखनी होती है, वह है प्राइस चार्ट को पढ़ना। यानी बाजार में किसी स्टॉक, क्रिप्टो या करेंसी की कीमत कैसे ऊपर-नीचे जा रही है, उसका विश्लेषण करना। इस विश्लेषण के दौरान तीन चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं – पैटर्न, ब्रेकआउट और वॉल्यूम स्पाइक। ये तीनों बातें अगर सही तरीके से समझ ली जाएं, तो कोई भी ट्रेडर सही समय पर एंट्री और एक्ज़िट ले सकता है और लाभ कमा सकता है।
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सबसे पहले बात करते हैं पैटर्न की। प्राइस चार्ट में जब कीमत एक खास तरीके से मूव करती है, तो वह एक पैटर्न बनाती है। इन पैटर्न्स को देखकर ट्रेडर्स अंदाजा लगाते हैं कि आगे कीमत किस दिशा में जा सकती है। कुछ पैटर्न्स यह संकेत देते हैं कि कीमत ऊपर जा सकती है, जबकि कुछ पैटर्न यह बताते हैं कि अब गिरावट आ सकती है। उदाहरण के लिए, जब प्राइस लगातार एक ऊँचे लेवल पर जाकर फिर नीचे आता है और ये प्रक्रिया दो बार होती है, तो इसे "डबल टॉप" कहा जाता है। ये आमतौर पर गिरावट का संकेत होता है। इसके विपरीत, "डबल बॉटम" उस समय बनता है जब कीमत दो बार नीचे से उछलकर ऊपर जाती है, और यह इस बात का संकेत हो सकता है कि अब प्राइस ऊपर जा सकता है।
एक और बहुत प्रसिद्ध पैटर्न होता है "ट्रायएंगल" पैटर्न। इसमें प्राइस धीरे-धीरे एक सीमित दायरे में समाने लगता है और एक समय के बाद अचानक किसी एक दिशा में निकल जाता है। यही ब्रेकआउट कहलाता है। यानी जब प्राइस किसी पैटर्न की सीमा को तोड़कर तेज़ी से ऊपर या नीचे मूव करता है, तो उसे ब्रेकआउट कहा जाता है। ब्रेकआउट ट्रेडिंग में एक बहुत बड़ा अवसर होता है, क्योंकि इसके बाद अक्सर प्राइस तेज़ी से मूव करता है और अगर आपने सही दिशा पकड़ी, तो अच्छा मुनाफा हो सकता है।
ब्रेकआउट दो प्रकार के होते हैं – एक होता है "बुलिश ब्रेकआउट", जिसमें प्राइस ऊपर की ओर टूटता है और एक होता है "बियरिश ब्रेकआउट", जिसमें प्राइस नीचे की ओर गिरता है। ब्रेकआउट के समय वॉल्यूम का बढ़ना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि अगर वॉल्यूम नहीं है, तो ब्रेकआउट फेक भी हो सकता है। यानी ऐसा ब्रेकआउट जो ज्यादा देर टिके नहीं, और प्राइस फिर उसी दायरे में वापस आ जाए।
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अब आते हैं वॉल्यूम स्पाइक्स पर। वॉल्यूम का मतलब है कि किसी स्टॉक या कॉइन की कितनी मात्रा में खरीद-फरोख्त हुई है। जब अचानक किसी स्टॉक में बहुत ज्यादा ट्रेडिंग होने लगती है, तो उसे वॉल्यूम स्पाइक कहते हैं। यह स्पाइक इस बात का संकेत हो सकता है कि किसी बड़ी मूवमेंट की शुरुआत हो रही है। खासकर जब वॉल्यूम स्पाइक किसी ब्रेकआउट के साथ आता है, तो वह ब्रेकआउट ज़्यादा विश्वसनीय हो जाता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी स्टॉक की कीमत ₹200 के आसपास कई दिनों से घूम रही थी और एक दिन वह ₹205 को पार कर गई। अगर उस समय वॉल्यूम सामान्य से कहीं ज़्यादा था, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि बड़े खिलाड़ी उस स्टॉक को खरीद रहे हैं और आगे इसमें तेजी आ सकती है। इसी तरह, अगर कीमत किसी खास सपोर्ट को तोड़ती है और उसके साथ वॉल्यूम भी बढ़ता है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि अब और गिरावट आने वाली है।
बहुत से नए ट्रेडर्स सिर्फ प्राइस देखकर ट्रेड करते हैं, लेकिन वॉल्यूम को नजरअंदाज कर देते हैं। यह एक बहुत बड़ी गलती है। वॉल्यूम आपको यह दिखाता है कि उस कीमत पर बाजार में कितनी दिलचस्पी है। जब प्राइस मूवमेंट वॉल्यूम के साथ होता है, तो वह मूवमेंट ज़्यादा सशक्त माना जाता है। और अगर वॉल्यूम कम हो तो वह मूवमेंट कमजोर माना जाता है और उसमें भरोसा नहीं किया जाता।
अब सवाल यह आता है कि हम इन चीज़ों को कैसे सीख सकते हैं? इसका सबसे अच्छा तरीका है – अभ्यास। रोजाना किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर जाएं, जैसे TradingView, और किसी भी स्टॉक या क्रिप्टो का चार्ट खोलें। फिर देखें कि क्या वहाँ पर कोई पैटर्न बन रहा है। देखें कि क्या कोई ब्रेकआउट हुआ है। और देखें कि ब्रेकआउट के समय वॉल्यूम कैसा था। शुरुआत में आपको सब उलझा हुआ लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे आप चार्ट देखना जारी रखेंगे, आपको पैटर्न खुद-ब-खुद दिखने लगेंगे।
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ट्रेडिंग में सफलता पाने के लिए जरूरी है कि आप इन तीनों संकेतों को एक साथ समझें – पैटर्न, ब्रेकआउट और वॉल्यूम। जब ये तीनों संकेत एक ही दिशा में इशारा करें, तब वह ट्रेड लेना ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है। और सबसे जरूरी बात, हर ट्रेड में स्टॉप लॉस जरूर लगाएं ताकि अगर आपकी भविष्यवाणी गलत साबित हो जाए, तो नुकसान सीमित रहे।
समय के साथ-साथ आपकी नजर पैटर्न्स को पहचानने में तेज़ हो जाएगी, और आपको यह समझ में आने लगेगा कि वॉल्यूम कब असली संकेत देता है और कब सिर्फ शोर होता है। यही अनुभव आपको एक बेहतर ट्रेडर बनाता है।
अंत में, ट्रेडिंग एक स्किल है जो अभ्यास से ही आती है। आप जितना ज़्यादा समय चार्ट पर बिताएंगे, उतनी ही तेज़ी से आप पैटर्न्स, ब्रेकआउट और वॉल्यूम को समझ पाएंगे। और जब ये तीनों चीज़ें आपकी समझ में आने लगेंगी, तो आप बाकी लोगों से एक कदम आगे रहेंगे – और यही ट्रेडिंग में सफलता की कुंजी है।
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